अभी 8 बजे है 9 बजे प्रश्न आये इस के पूर्व प्रोजेक्ट करते है।
आपने बहुत पुराना गीत सुना होगा “यह कौन चित्रकार है यह कौन चित्रकार” हमने अभी पर्यावरण, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं जैव विविधता के पाठ पढ़े हैं इस गीत के माध्यम से कवि प्रकृति एवं वसुंधरा को किस रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं । गीत सुनकर अपने शब्दों में लिखिए एवं इसमें अपने विचारों की मौलिकता समाहित कीजिए।
(अंक 10) समय सीमा- कल दोपहर 12 बजे तक
“गीत”
ये कौन चित्रकार है
ये कौन चित्रकार
हरी भरी वसुंधरा पर नीला नीला ये गगन
के जिसपे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन दिशाएं देखो रंग भरी
दिशाएं देखो रंग भरी
चमक रहीं उमंग भरी
ये किसने फूल फूल से किया श्रृंगार है
ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार
कुदरत की इस पवित्रता को तुम निहार लो इनके गुणों को अपने मन में तुम उतार लो चमका दो आज लालिमा
चमका दो आज लालिमा
अपने ललाट की कण कण से
झनकती तुम्हीं छबी विराट की
अपनी तो आँख एक है, इसकी हज़ार है ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार
तपस्वियों सी हैं अटल ये पवर्तों कि चोटियाँ
ये बर्फ़ कि घुमरदार घेरदार घाटियाँ
ध्वजा से ये खड़े हुए
ध्वजा से ये खड़े हुए
हैं वृक्ष देवदार के गलीचे
ये गुलाब के बगीचे ये बहार के
ये किस कवि की कल्पना
ये किस कवि की कल्पना का चमत्कार है
ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार